
5वीं और 8वीं में भी होंगे फेल, राज्य ने बदला नियम, बिना पास किए अगली क्लास में नहीं मिलेगी प्रवेश।
Education Policy For 5th & 8th Class Students: हरियाणा में अब पांचवीं और आठवीं क्लास की नियमित रूप से परीक्षाएं ली जाएंगी। फेल छात्रों को अगली कक्षा में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। ऐसे स्टूडेंट्स की दो महीने में दोबारा परीक्षा ली जाएगी। इसमें पास होने पर ही उन्हें अगली क्लास में प्रवेश दिया जाएगा। संशोधित नियमों के अनुसार, अगर छात्र दोबारा हुए एग्जाम में भी सफल नहीं होता है, तो उसे उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा। पहले नियमों में 8वीं तक किसी भी छात्र को फेल करने का प्रावधान नहीं था।
दरअसल, केंद्र सरकार ने आठवीं तक फेल न करने की नीति बदल दी है। केंद्र के इस फैसले को हरियाणा में भी लागू कर दिया गया है। शिक्षा मंत्रालय ने रविवार को इस संबंध में पत्र जारी किया है। शिक्षा मंत्रालय ने कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों को लेकर नियम में बदलाव किया है। अब 5वीं और 8वीं में फेल होने वाले छात्रों को अगली क्लास के लिए प्रमोट नहीं किया जाएगा। हालांकि फेल होने के बाद छात्रों को 2 महीने के भीतर दोबारा एग्जाम देने का मौका मिलेगा।
अगर वह उसमें पास हो जाते हैं तो वह आगे की क्लास में पढ़ सकेंगे। नहीं तो फिर उन्हें दोबारा से इस क्लास में पढ़ाई करनी होगी। बता दें यह प्रावधान 10वीं और 12वीं के बोर्ड परीक्षाओं में है लेकिन अब इसे 5वीं और 8वीं के लिए भी लागू कर दिया है। चलिए आपको बताते हैं पूरी खबर।
5वीं और 8वीं में फेल छात्रों को मिलेगा बस एक मौका॥
शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों के लिए राइट टू चिल्ड्रेन टू फ्री एंड कंप्लसरी एजुकेशन एक्ट 2009 (RTE Act 2009) में बदलाव कर दिया है। अब नए नियमों के तहत कक्षा 5वीं और 8वीं कक्षा में फेल होने वाले छात्रों को अगले क्लास में प्रमोट होने से रोका जा सकता है। बता दें इससे पहले RTE Act 2009 के तहत राज्यों को 5वीं और 8वीं के छात्रों के लिए रेगुलर एग्जाम असफल होने वाले छात्र को फेल करने परमिशन नहीं थी।
अब ऐसे में कई छात्रों के मन में यह सवाल आ सकता है क्या रेगुलर एग्जाम में फेल होने वाले छात्रों को दूसरा मौका मिलेगा। तो आपको बता दें 5वीं और 8वीं के रेगुलर एग्जाम में फेल होने वाले छात्रों को एक मौका और दिया जाएगा। साल के आखिर में जब रेगुलर एग्जाम में कोई छात्र फेल होता है। तो उसके बाद 2 महीने बाद दोबारा से उसे मौका दिया जाएगा। अगर वह वहां भी पास नहीं हो पता तो फिर वह 5वीं और 8वीं में दोबारा पढ़ने के लिए बाध्य होगा।
पहले थी नो-डिटेंशन पॉलिसी॥
इससे पहले राइट टू चिल्ड्रेन टू फ्री एंड कंप्लसरी एजुकेशन एक्ट 2009 के तहत नो-डिटेंशन पॉलिसी लागू थी। जिसके तहत कक्षा 1 से कक्षा 8 तक किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता था। छात्रों को उनके रिजल्ट के आधार पर उसी क्लास में रोकने के बजाय। हर साल अगली क्लास में प्रमोट किया जाना कंपलसरी था। साल 2019 में संसद ने RTE Act में एक संशोधन पारित किया। जिसके बाद से नो-डिटेंशन पॉलिसी पर पूरी तरह रोक लगा दी गई।
क्या उठाए जाएंगे कदम?
इस दौरान छात्र को सुधारने के लिए शिक्षकों की ओर से विशेष मार्गदर्शन दिया जाएगा। शिक्षक न केवल छात्र के प्रदर्शन पर ध्यान देंगे, बल्कि उनके पैरेंट्स को भी आवश्यक सहायता प्रदान करेंगे। शिक्षक छात्रों के प्रदर्शन का आंकलन करेंगे और उनकी सीखने की कमी को दूर करने के लिए सुझाव देंगे। स्कूल के प्रधानाध्यापक ऐसे छात्रों की सूची बनाएंगे और उनमें सुधार की नियमित रूप से निगरानी करेंगे।
इस प्रक्रिया का उद्देश्य स्टूडेंट्स को उनकी जरूरत के अनुसार सहायता उपलब्ध कराना है। रटने और प्रक्रियात्मक कौशल पर आधारित सवालों के बजाय छात्रों के समग्र विकास और व्यावहारिक ज्ञान को परखा जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्रों को प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक किसी भी परिस्थिति में स्कूल से बाहर न किया जाए। यह कदम छात्रों की बुनियादी समझ और कौशल को मजबूत करने में सहायक होगा।

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