तबला उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में अमेरिका में निधन, दिग्गजों ने जताया दुख; जाने उनके बारे में।

Zakir Hussain Passed Away : मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का रविवार को 73 वर्ष की आयु में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित एक अस्पताल में निधन हो गया। हाल ही में उनकी तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।


जाकिर हुसैन के घनिष्ठ मित्र और प्रसिद्ध बांसुरी वादक राकेश चौरसिया ने बताया कि उन्हें रक्तचाप और हृदय संबंधी समस्याएं थीं। पिछले सप्ताह स्वास्थ्य में गिरावट के चलते उन्हें अस्पताल ले जाया गया था। चौरसिया ने कहा कि उनकी स्थिति गंभीर होने के कारण डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही थी, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके निधन पर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गयी है। राजनीति, संगीत, समाज से जुड़े विभिन्न हस्तियों ने जाकिर हुसैन के निधन पर शोक जताया है।


संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति: राहुल गांधी

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने जाकिर हुसैन के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन का समाचार बेहद दुखद है। उनका जाना संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति है। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। उस्ताद जाकिर हुसैन जी अपनी कला की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जो हमेशा हमारी यादों में जीवित रहेगी।

संगीत जगत की अपूरणीय क्षतिः सीएम योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जाकिर हुसैन के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि विश्व विख्यात तबला वादक, ‘पद्म विभूषण’ उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन अत्यंत दुःखद एवं संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है. ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को सद्गति एवं उनके शोकाकुल परिजनों और शोक संतप्त प्रशंसकों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें.ॐ शांति!

शिवराज सिंह चौहान ने जताया शोक॥

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- "संगीत नाटक अकादमी, ग्रैमी, पद्म श्री, पद्म भूषण व पद्म विभूषण जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित, सुप्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद श्री जाकिर हुसैन जी का निधन कला एवं संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान तथा शोकाकुल परिजनों व प्रशंसकों को यह अथाह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!"


ममता बनर्जी ने जताया शोक॥

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जाकिर हुसैन के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि प्रसिद्ध उस्ताद और सभी समय के महानतम तबला वादकों में से एक उस्ताद जाकिर हुसैन की असामयिक मृत्यु से मैं बहुत स्तब्ध और दुखी हूं। यह देश और दुनिया भर में उनके लाखों प्रशंसकों के लिए बहुत बड़ी क्षति है। मैं महान कलाकार के परिवार, बिरादरी और अनुयायियों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं।

अखिलेश यादव ने दी श्रद्धांजलि॥

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जाकिर हुसैन के निधन पर कहा कि भारत के जानेमाने तबला वादक, पद्मविभूषण उस्ताद जाकिर खान का निधन एक अपूरणीय क्षति है। शोकाकुल परिजनों के प्रति संवेदना। भावभीनी श्रद्धांजलि।

एक सांस्कृतिक राजदूत खो दियाः खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जाकिर हुसैन के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन से भारत और दुनिया ने एक संगीत प्रतिभा और एक सांस्कृतिक राजदूत खो दिया है, जिन्होंने अपनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली लय से सीमाओं और पीढ़ियों के बीच सेतु का काम किया।

किशन रेड्डी ने जताया पर शोक॥

मंत्री जी किशन रेड्डी ने जाकिर हुसैन के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि पद्म पुरस्कार से सम्मानित तबला वादक जाकिर हुसैन के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। एक ऐसे दिग्गज जिन्होंने हमारे दिलों और आत्माओं को लय दी और अपनी असाधारण प्रतिभा से हमें मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।

राज्यवर्धन सिंह राठौर ने जताया दुख

भाजपा नेता और राजस्थान सरकार में मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा- "उस्ताद ज़ाकिर हुसैन की तबले पर असाधारण महारत ने संगीत की दुनिया में एक विरासत बनाई है। उनके परिवार, दोस्तों और उन अनगिनत प्रशंसकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं, जिनके जीवन को उन्होंने अपनी कलात्मकता से प्रभावित किया। उनकी लय हमारे दिलों में हमेशा गूंजती रहेगी।"

गहरी संवेदनाएं- सिंधिया

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जाकिर हुसैन के निधन पर ट्वीट किया- "ज़ाकिर हुसैन जी के तबले की थाप सीमाओं, संस्कृतियों और पीढ़ियों से परे एक सार्वभौमिक भाषा बोलती थी। उनकी लय की ध्वनि और कंपन हमारे दिलों में हमेशा गूंजते रहेंगे। हमेशा गूंजेगा, वाह ताज! उनके परिवार, प्रशंसकों और प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। ॐ शांति।"

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जाकिर हुसैन के निधन पर कहा कि उस्ताद जाकिर हुसैन साहब के निधन से हमारी संस्कृति की दुनिया और भी क्षीण हो गई है। अपनी उंगलियों को दायां और बयान पर नचाते हुए उन्होंने भारतीय तबले को वैश्विक मंच पर पहुंचाया और हमेशा इसकी जटिल लय के पर्याय बने रहेंगे।

उन्होंने कहा किसंगीत के एक दिग्गज, रचनात्मकता के एक दिग्गज, जिनके काम ने उन्हें पीढ़ियों से लोगों के बीच लोकप्रिय बनाए रखा। उनके जाने से एक ऐसा खालीपन पैदा हो गया है जिसे भरना मुश्किल होगा। उनके परिवार, शिष्यों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं।

पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण थे जाकिर हुसैन॥


ज़ाकिर हुसैन एक प्रसिद्ध तबला वादक हैं जिनका जन्म 9 मार्च, 1951 को बॉम्बे (अब मुंबई) में हुआ था। उनके पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा खान अपने समय के प्रसिद्ध तबला वादक थे। उन्होंने तबला वादन की कला अपने पिता से सीखी। उस्ताद ज़ाकिर हुसैन ने सात साल की उम्र में संगीत समारोहों में तबला बजाना शुरू कर दिया था। 

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई मुंबा के सेंट जेवियर्स कॉलेज से की। जाकिर ने वाशिंगटन विश्वविद्यालय से संगीत में डॉक्टरेट की डिग्री पूरी की। उन्होंने 1991 में प्लैनेट ड्रम के लिए ड्रमर मिकी हार्ट के साथ सहयोग किया, जिसने ग्रैमी पुरस्कार जीता। बाद के वर्षों में, हुसैन ने कई फिल्मों के साउंडट्रैक में योगदान दिया। 


जाकिर हुसैन को 1991 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह अटलांटा में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह के लिए संगीत तैयार करने वाली टीम का भी हिस्सा थे। वह पहले भारतीय संगीतकार भी हैं जिन्हें 2016 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा ऑल-स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में भाग लेने के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया गया था। जाकिर हुसैन को भारत सरकार द्वारा 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

डेढ़ की उम्र में पिता ने कान में सुनाई ताल॥


उस्ताद जाकिर हुसैन को संगीत विरासत में मिली। उनके पिता पहले से ही देश के मशहूर तबलावादकों में से एक थे। वे देश-विदेश में बड़े-बड़े कॉन्सर्ट किया करते थे। जब बेटा हुआ तो डेढ़ दिन के जाकिर के कानों में पिता ने ताल गा दी। बस फिर क्या था, संगीत का परिवार मिला, पिता का आशीर्वाद मिला और वहीं से जाकिर के उस्ताद बनने का आधार तय हो गया। उस समय डेढ़ दिन के जाकिर को दिया आशीर्वाद उनके बेटे को तबले की दुनिया का सबसे बड़ा उस्ताद बना देगा इसका अंदाजा तो खुद उस्ताद अल्लाह राखा को भी नहीं होगा।

घर के बर्तन से बनाते थे धुनें॥


जाकिर एक्स्ट्राऑर्डिनरी लीग के माने जाते हैं। तबला बजाने वाले तो बहुत होंगे लेकिन जाकिर जैसा कोई नहीं. उनकी उंगलियों में जादू है। बचपन से ही वे अपनी कलाकारी किया करते थे। वे तबले से कभी चलती ट्रेन की धुन निकालते थे तो कभी भी भागते हुए घोड़ों की धुन निकाल कर दिखाते थे। जाकिर हुसैन की खास बात ये थी कि वे संगीत की गहराइयों को अपनी परफॉर्मेंस के जरिए दर्शकों से रूबरू कराकर बनाकर उसमें भी मनोरंजन पैदा कर देते थे। लेकिन इसकी शुरुआत तो उन्होंने घर के बर्तनों से की।

जाकिर हुसैन पर लिखी किताब जाकिर एंड इज तबला ‘धा धिन धा’ में इस बारे में मेंशन किया गया है। किताब के मुताबिक जाकिर हुसैन किसी भी सतही जगह पर तबला बजाने लगते थे। वे इसके लिए सोचते नहीं थे कि सामने वाली चीज क्या है। घर में किचन के बर्तनों को भी उल्टाकर के वो उसपर धुने बनाते थे। इसमें कई बार गलती से भरा बर्तन होता तो उसका सामान अनजाने में गिर भी जाता था।

पिता से सीखा संगीत॥


उस्ताद जाकिर हुसैन ने बहुत कम उम्र से ही संगीत सीखना शुरू कर दिया था। खासकर उनका रुझान भी शुरू से तबला सीखने की ओर ही था। क्योंकि ताल और बोलों के बीच ही उनकी तरबीयत हुई और इसी माहौल के बीच वे बड़े हुए। 

उन्होंने अपने पिता को तबले की धुन पर दुनिया को मोहित करते देखा। साथ ही पिता ही थे जिन्होंने उस्ताद को सबसे पहले तबले पर हाथ बैठाना सिखाया और तबले के साथ संतुलन बनाना सिखाया। इसके बाद तो उस्ताद जाकिर हुसैन ने उस्ताद खलीफा वाजिद हुसैन, कंठा महाराज, शांता प्रसाद और उस्ताद हबीबुद्दीन खान से भी संगीत और तबले के गुण सीखे।

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