नई दिल्ली। वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 के लिए जेपीसी का गठन कर दिया गया है। भाजपा के वरिष्ठ लोकसभा सदस्य जगदंबिका पाल विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति के प्रमुख होंगे।
भारतीय जनता पार्टी के सांसद जगदम्बिका पाल संसद के मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अध्यक्षता करेंगे। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में विधेयक पेश किया था और सदन में प्रस्तावित संशोधनों पर संक्षिप्त चर्चा हुई थी। विधेयक को आगे की जांच के लिए जेपीसी के पास भेजा गया था। इस विधेयक में वक्फ अधिनियम में बदलाव करने का प्रावधान है जिसके अंतर्गत 8.5 लाख संपत्तियां आती हैं।
भाजपा के सहयोगी दल तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने विधेयक का पूरा समर्थन किया, हालांकि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (एसपी) और एआईएमआईएम सहित विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया। उल्लेखनीय है कि जेपीसी, एक तदर्थ संसदीय समिति है, जिसका गठन 31 सदस्यों के साथ किया गया है, जिसमें 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से हैं। लोकसभा में पैनल के 12 सदस्य सत्तारूढ़ एनडीए से हैं, जिनमें से आठ भाजपा से हैं। इसके अलावा, जेपीसी के नौ सदस्य विपक्ष से हैं। जेपीसी में लोकसभा सदस्य जगदंबिका पाल (अध्यक्ष), निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, अभिजीत गंगोपाध्याय, संजय जायसवाल, दिलीप सैकिया, डीके अरुणा हैं। ये सभी सदस्य भाजपा से हैं।
कांग्रेस से गौरव गोगाई, इमरान मसूद और मोहम्मद जावेद को इसका सदस्य बनाया गया है। समाजवादी पार्टी के सदस्य मौलाना मोहिबुल्ला नदवी, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, द्रमुक के ए. राजा, तेलुगू देसमपार्टी (तेदेपा) के लावू श्रीकृष्णा, जनता दल (यूनाइेड) के दिलेश्वर कामत, शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के सुरेश गोपीनाथ महत्रे, शिवसेना के नरेश गणपत म्हास्के, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अरुण भारती और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी भी इस समिति में शामिल हैं।
लोकसभा ने इसके साथ ही राज्यसभा से अनुशंसा की कि वह इस संयुक्त समिति के लिए 10 सदस्य का चयन कर निचले सदन को सूचित करे। बाद में राज्यसभा में रीजीजू ने यह प्रस्ताव रखा जिसे ध्वनि मत से पारित किया गया। रीजीजू ने उच्च सदन में बताया कि राज्यसभा से इस समिति में बृजलाल, मेधा विश्राम कुलकर्णी, गुलाम अली, राधामोहन दास अग्रवाल (सभी भाजपा), सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस), मोहम्मद नदीमुल हक (तृणमूल कांग्रेस), वी विजय साई रेड्डी (वाईएसआर कांग्रेस), एम मोहम्मद अब्दुल्ला (द्रमुक), संजय सिंह (आम आदमी पार्टी) और डी वीरेंद्र हेगड़े (मनोनीत) को शामिल किया गया
विपक्ष ने विधेयक पर जताई आपत्ति॥
बता दें कि 8 अगस्त को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक 2024 गुरुवार को लोकसभा में पेश किया। विपक्षी दलों ने विधेयक पर आपत्ति दर्ज कराई।
इसके बाद अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का प्रस्ताव रखा। केंद्र सरकार में सहयोगी चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने भी विधेयक को जेसीपी के पास भेजने की वकालत की।
क्या कहता है विधेयक?
विधेयक के मुताबिक वक्फ बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों को भी शामिल करने का प्रस्ताव है। विधेयक में वक्फ अधिनियम- 1995 का नाम बदलकर ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम- 1995 करने का भी प्रावधान है। विधेयक में धारा 40 के हटाने का प्रावधान है। इसके तहत वक्फ बोर्ड को कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं तय करने का अधिकार है।
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