"इंदौर बनेगा भिखारी-मुक्त शहर: 1 जनवरी से भीख देने पर दर्ज होगी FIR!"

Beggar-Free City : 1 जनवरी से भिखारियों को पैसे देने पर दर्ज होगी FIR! केंद्र सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के तहत इंदौर को भिखारी मुक्त बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। जिला प्रशासन ने भिक्षावृत्ति पर पहले ही सख्ती दिखाते हुए रोक लगा दी है। यह अभियान देश के 10 शहरों में चलाया जा रहा है। प्रशासन ने इस दौरान कई हैरान करने वाले खुलासे भी किए हैं। वहीं, एक संगठन भिखारियों को छह महीने तक आश्रय देने और काम दिलाने में मदद करेगा।

देश का सबसे स्वच्छ शहर है इंदौर॥

इंदौर, जिसे भारत का सबसे स्वच्छ शहर कहा जाता है, अब भिखारी-मुक्त बनने की राह पर है। इसके लिए प्रशासन ने एक सख्त कदम उठाया है। 1 जनवरी से, जो भी व्यक्ति भिखारियों को पैसे देगा, उसके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी।

चलेगा जागरूकता अभियान॥

कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि प्रशासन ने पहले ही इंदौर में भिक्षावृत्ति पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि भिक्षावृत्ति के खिलाफ हमारा जागरूकता अभियान इस महीने के अंत तक जारी रहेगा। एक जनवरी से अगर कोई भी व्यक्ति भीख मांगते पाया गया तो उसके खिलाफ भी FIR दर्ज की जाएगी। उन्होंने इंदौर के सभी निवासियों से अपील की कि वे भिखारियों को पैसे देकर इस पाप के भागीदार न बनें।

देश के 10 शहर पायलट प्रोजेक्ट में शामिल॥

इस प्रोजेक्ट में 10 शहर शामिल हैं: दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना और अहमदाबाद। भिक्षावृत्ति विरोधी अभियान के दौरान, इंदौर प्रशासन ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए। प्रोजेक्ट अधिकारी दिनेश मिश्रा ने कहा कि जब हम रिपोर्ट तैयार करते हैं, तो हम पाते हैं कि कुछ भिखारियों के पास पक्का मकान है। साथ ही कुछ के बच्चे बैंक में काम करते हैं।

भिखारी ने बनाया इसे पेशा॥

एक बार हमने एक भिखारी के पास 29,000 रुपए पाए। एक और भिखारी पैसे उधार देता था और ब्याज लेता था। एक गिरोह बच्चों के साथ राजस्थान से यहां भीख मांगने आया था। उन्हें एक होटल से बचाया गया जहां वे रुके हुए थे।

भिखारियों को काम दिलाने में मदद॥

मध्य प्रदेश के सामाजिक कल्याण मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा ने कहा कि इंदौर का एक संगठन सरकार के इस प्रयास में मदद के लिए आगे आया है। यह संगठन उन्हें छह महीने तक आश्रय प्रदान करेगा और उनके लिए काम खोजने की कोशिश करेगा। हम लोगों को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। यह एक सराहनीय पहल है जो इंदौर को वास्तव में भिखारी-मुक्त शहर बनाने में मदद कर सकती है। लेकिन इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि लोग प्रशासन का कितना सहयोग करते हैं।

उन्होंने कहा कि अगर लोग भिखारियों को पैसे देना बंद नहीं करेंगे, तो यह योजना पूरी तरह से सफल नहीं हो पाएगी। साथ ही, यह सुनना भी ज़रूरी है कि जिन लोगों को बचाया जा रहा है, उनके पुनर्वास की व्यवस्था ठीक से हो। उन्हें रोजगार के अवसर और रहने की उचित सुविधा मिलनी चाहिए।

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