रूसी राष्ट्रपति पुतिन का बड़ा ऐलान- 'जब तक पीएम मोदी यूक्रेन में हैं, नहीं होगा कोई हमला'; पढ़िए क्यों शुरू हुआ था रूस-यूक्रेन युद्ध.?

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की पोलैंड यात्रा के बाद शुक्रवार (23 अक्तूबर 2024) को यूक्रेन पहुंच गए हैं। उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) से मुलाकात की। इससे जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें दोनों नेता एक दूसरे से हाथ मिलाने के बाद गले मिलते नजर आ रहे हैं। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने युद्ध को लेकर बड़ा ऐलान किया है।


रूस के राष्ट्रपति का बयान॥

सूत्रों के मुताबिक रूस के राष्ट्रपति ने कहा कि, जब तक भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन में हैं, तब तक वहां कोई हमला नहीं होगा।


रूस के राष्ट्रपति का बयान ऐसे समय में आया है जब यह माना जा रहा है कि पीएम मोदी का यह दौरा रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के लिहाज से बहुत अहम हो सकता है। पोलैंड से करीब 10 घंटे की ट्रेन यात्रा के बाद हयात होटल पहुंचने पर भारतीय समुदाय के लोगों ने मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया।


चार MOU पर हुए साइन॥

इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच युद्ध को लेकर शांतिपूर्ण समाधान पर विचार-विमर्श होने की उम्मीद है। दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच चली मीटिंग में चार MOU साइन हुए हैं।

  1. ह्यूमनटेरेन ग्राउंड पर मदद देने
  2. फ़ूड और एग्रीकल्चर 
  3. मेडिकल एंड ड्रग्स 
  4. कल्चर कोऑपरेशन को लेकर MOU साइन हुआ

रूस-यूक्रेन जंग में जान गंवाने वाले बच्चों की याद में स्थापित प्रदर्शनी देख भावुक हुए पीएम मोदी॥


भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि, रूस-यूक्रेन जंग में जान गंवाने वाले बच्चों की याद में स्थापित मार्मिक प्रदर्शनी देखकर प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए। उन्होंने इस पर शोक जताया और मारे गए बच्चों के सम्मान में उन्हें याद करते हुए एक खिलौना रखा। प्रधानमंत्री करीब सात घंटे कीव में बिताएंगे।

महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि॥


जेलेंस्की के साथ बातचीत से पहले पीएम मोदी ने कीव में ओएसिस ऑफ पीस पार्क स्थित सत्य और अहिंसा के प्रतीक महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

कब शुरू हुआ था रूस-यूक्रेन युद्ध.?


रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध 24 फ़रवरी, 2022 को शुरू हुआ था। इस दिन रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया, जिससे Russo-Ukrainian War में और बढ़ोतरी हुई। यह युद्ध 2014 में शुरू हुआ था. 24 फ़रवरी, 2022 को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की कि रूस डोनबास में "स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन" शुरू कर रहा है। इसके बाद, रूस ने यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर हमला कर दिया। इस हमले के बाद यूक्रेन के प्रमुख शहरों, जैसे कि कीव, खार्किव, और ओडेसा में धमाकों की आवाज़ सुनी गई। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने देश भर में मार्शल लॉ की घोषणा की।

क्यों हुआ 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध, क्या थे इसके कारण?


एक साल पहले रूस और पश्चिमी देशों (Western Countries) के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई थी। विषय था यूक्रेन और कारण था नाटो (NATO) एक तरफ यूक्रेन नाटो समूह में शामिल होने की बात कह रहा था जबकि रूस चेतावनी दे रहा था वह इसे कतई सहन नहीं करेगा जबकि पश्चिमी देश यूक्रेन का खुल कर समर्थन कर रहे थे। इसी को वजह बताते हुए रूस ने 25 फरवरी को यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई कर दी जिसे हम रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) कह रहे हैं। तभी से यह युद्ध दुनिया भर की निगाह में है जिससे पूरा संसार प्रभावित हो रहा है।

पुरानी है रूस यूक्रेन के बीच की तनातनी॥


रूस और यूक्रेन के बीच तनाव नया नहीं है। साल 2014 में रूस ने यूक्रेन के द्वीप क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। यूक्रेन रूस के साथ युद्ध के खौफ में पिछले 8 साल से था। जब दोनों के बीच तनाव का कारण यही था कि रूस का दावा था कि यूक्रेन उसका हिस्सा है और वह हमेशा यूक्रेन का पश्चिमी देशों की ओर के झुकाव के खिलाफ था। कई मौकों पर ऐसा लगता रहा है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर कब्जा करना चाहते हैं।

सोवियत संघ का हिस्सा थे दोनों॥


ज्यादा पहले नहीं 1991 से पहले ही दोनों देश वृहद सोवियत संघ का हिस्सा थे जो कि 15 गणराज्यों का एक संयुक्त देश था। यूक्रेन में तभी से दो तरह के लोग देखने को मिलते हैं एक वे जो रूसी समर्थक हैं और दूसरे वे जो यूक्रेन के रूस से अलग स्वतंत्र रखना चाहते हैं। यूक्रेन में कुछ समय पहले रूस समर्थित सरकार गिरने के बाद व्लादिमीर जेलेंस्की राष्ट्रपति बने थे।

पश्चिम की ओर जाता यूक्रेन॥


जेलेंस्की रूस समर्थक ना होकर पश्चिमी देशों के ज्यादा करीब जाना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से यूक्रेन ना केवल रूस के खतरे से बच सकेगा, बल्कि उसके विकास की राह भी बेहतर हो सकेगी। इसीलिए यूक्रेन यूरोपीय संघ का सदस्य होने के साथ नाटो का भी सदस्य बनना चाहता है। इसके अलावा नाटो भी क्रीमिया हमले के समय से ही रूस की विस्तारवादी नियत पर संदेह करता आ रहा है।

यूक्रेन ही क्यों.?


कई विशेषज्ञों का मानना है कि रूस और उसके साथ पश्चिमी देशों (खासकर अमेरिका) की नजरें यूक्रेन के प्राकृतिक खनिज भंडारों पर हैं जिसमें सबसे अहम लीथियम का बहुत बड़ा भंडार है जो आने वाले समय में विद्युत वाहनों में लगने वाले बैटरी के लिए बहुत ज्यादा उपयोग में आने वाला है। यही वजह से अमेरिका की इस देश में विशेष दिलचस्पी (और विशेष दखल) भी है. और नतीजा यह है कि यूक्रेन नाटो (इसे अमेरिका भी पढ़ सकते हैं) और रूस की कुश्ती का अखाड़ा बन गया है।

दोनों देशों में हुई हज़ारों लोगों की मौत॥


इस आक्रमण से दोनों देशों में हज़ारों लोगों की मौत हो गई और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में सबसे बड़ा शरणार्थी संकट पैदा हो गया। जून 2022 तक, करीब 8 मिलियन यूक्रेनियन अपने देश के अंदर ही विस्थापित हो गए थे। वहीं, फ़रवरी 2023 तक 8 मिलियन से ज़्यादा यूक्रेनियन देश छोड़कर भाग गए थे। इस युद्ध के कारण यूरोप में सबसे बड़ा संघर्ष भी हुआ है।

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