नवरात्रि व्रत में खाने वाला साबूदाना असली है या नकली? जानें पहचानने के 4 आसान ट्रिक्स!

Navratri vrat : नवरात्रि व्रत के दौरान भक्तों का पसंदीदा साबूदाना फलाहार के रूप में खाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह साबूदाना किस चीज से बनाया जाता है? बाजार में नकली साबूदाना भी बिक रहा है, जिसे असली से पहचानना मुश्किल होता है। हालांकि, इसे पहचानना नामुमकिन नहीं है। कुछ आसान टिप्स से आप नकली साबूदाने की पहचान कर सकते हैं। आइए जानते हैं वे ट्रिक्स -

1-सबसे आसान ट्रिक है, इसे चबाकर देखें। अगर साबूदाना खाने में किरकिरा लग रहा है तो वो नकली साबूदाना है। जो साबूदाना दातों में चिपक रहा है वह साबूदाना असली है। दुकान में रखे साबूदाने के बोरे से एक दाना चबाकर देखना कोई मुश्किल नहीं। 

2- असली साबूदाना पानी में भिगोने पर फूल जाता है। पानी लसलसा हो जाता। वहीं नकली साबूदाना काफी देर तक पानी में रहने के बावजूद भी नहीं फूलता है। 

3- आप असली साबूदाने को जलाते हैं तो उसमें से साबूदाने की खुशबू आती है। वह राख नहीं छोड़ता। वहीं नकली साबूदाना को जलाने पर उसकी राख बनती है। धुआं निकलता है। 

4- नकली साबूदाने को व्हाइट एजेंट्स को डालकर चमकदार बनाया जाता है। चमकदार साबूदान कतई न खरीदें।

भारत में टैपिओका स्टार्च से साबूदाना बनाया जाता है। कसावा नामक कंद का इस्तेमाल टैपिओका स्टार्च के लिए किया जाता है, जो शकरकंद जैसा होता है। साबूदाना में कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में होता है। इसमें कैल्शियम भी भरपूर होता है।

नकली साबूदाना बनाने के लिए कई कैमिकल्स, ब्लीचिंग एजेंट्स, फॉस्फोरिक एसिड और सल्फ्यूरिक एसिड का इस्तेमाल होता है। इसे सफेद बनाने, चमकाने के लिए आर्टिफिशियल व्हाइटनिंग एजेंट्स मिलाए जाते हैं। हम नकली साबूदाना खाते हैं तो इससे हमारे लिवर और किडनी के साथ शरीर के दूसरे अंगों को नुकसान पहुंचता है।

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