Vishwakarma Puja 2024 : विश्वकर्मा जयंती हिंदू धर्म में एक विशेष पर्व के रूप में मनाई जाती है, जिसे निर्माण और सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा को समर्पित किया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को 'विश्व का शिल्पी' और 'दैविक वास्तुकार' के रूप में जाना जाता है। उनका उल्लेख वेदों और पुराणों में मिलता है, जहां उन्हें अद्भुत रचनाकार के रूप में दर्शाया गया है। कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए दिव्य भवन, अस्त्र-शस्त्र, और विमानों का निर्माण किया। उनके द्वारा निर्मित स्वर्ग, पुष्पक विमान, और भगवान शिव का त्रिशूल जैसे अद्वितीय उदाहरण हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा का विधान है। यह प्रायः भादो मास के शुक्ल पक्ष में पड़ता है। अन्य पर्व-त्योहारों की तरह इस साल विश्वकर्मा पूजा को लेकर भी कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है कि ये 16 सितंबर को मनाई जाएगी या 17 सितंबर को। पंडितों और आचार्यों के मुताबिक, चूंकि इस बार सूर्यदेव ने 16 सितंबर की शाम को 7:29 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश किया है। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, विश्वकर्मा जयंती आज मंगलवार 17 सितंबर को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं, विश्वकर्मा पूजा का महत्व, शुभ मुहूर्त और उपयोगी जानकारियां।
विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त 2024
इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा पर रवि योग का संयोग बना हुआ है। 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह 6 बजकर 7 मिनट पर शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। वहीं वैदिक पंचांग के अनुसार विश्वकर्मा पूजा को मुहूर्त सुबह 6 बजकर 7 मिनट से लेकर 11 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। इसके बाद भद्रा लग जाएगी। इस लिए सुबह ही पूजा के लिए अच्छा मुहूर्त है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व॥
भगवान विश्वकर्मा को सृजन और निर्माण का प्रतीक माना जाता है। उनके अनुयायी विशेष रूप से कारीगर, शिल्पकार, इन्जीनियर्स, और विभिन्न निर्माण से जुड़े लोग होते हैं। विश्वकर्मा जयंती पर लोग अपने औजारों, मशीनों, और उपकरणों की पूजा करते हैं ताकि उनका कार्य सुचारू रूप से चले और सफलता मिले। यह दिन कर्मयोग का आदर्श प्रस्तुत करता है, जिसमें व्यक्ति अपने कार्यों के प्रति निष्ठा और समर्पण रखता है। इस दिन को विशेष रूप से औद्योगिक संस्थानों, फैक्ट्रियों, और व्यवसायिक संस्थानों में उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग अपने कार्यस्थल, मशीनरी और उपकरणों की सफाई और सजावट करते हैं और उनके सुचारू संचालन के लिए भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा से घर, दुकान या उद्योग में सकारात्मक ऊर्जा आती है और विकास के मार्ग खुलते हैं।
विश्वकर्मा पूजा विधि॥
प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर,पूर्ण श्रद्धा भाव से अपने औजारों, मशीन आदि की सफाई करके विश्वकर्मा जी की प्रतिमा या चित्र लगाकर रोली,अक्षत,फल-फूल आदि से उनकी पूजा करें। सभी औजारों और मशीनों के कलावा बांधें एवं मिठाई से पूजा करते हुए उनकी आरती करें। पूजा के दौरान “ॐ विश्वकर्मणे नमः” मंत्र का उच्चारण करें। उसके बाद सभी को प्रसाद वितरित करें। ऐसा करने से भगवान विश्वकर्मा की कृपा से व्यापार में वृद्धि होती है।
क्या करें, क्या न करें.?
- विश्वकर्मा पूजा के दिन औजारों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस दिन खुद भी इस उपकरण का इस्तेमाल न करें और दूसरों को न करने दें।
- चूंकि विश्वकर्मा पूजा के दिन औजारों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन इनका अपमान भूल कर भी नहीं करना चाहिए।
- इस शुभ अवसर पर ऑफिस, दुकान और फैक्ट्री की साफ सफाई अच्छे ढंग से करनी चाहिए और हर जगह गंगाजल का छिड़काव जरूर करना चाहिए।
- विश्वकर्मा पूजा के दिन सामर्थ्य के अनुसार भोजन, वस्त्र या धन का दान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से लाभ प्राप्त होता है।
भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त करने के उपाय॥
- विश्वकर्मा जयंती के दिन अपने कार्य स्थल और उपकरणों की पूजा करने से सफलता प्राप्त होती है।
- औद्योगिक संस्थानों में इस दिन विशेष पूजा करने से उद्योग का विकास होता है और व्यवसाय में वृद्धि होती है।
- इस दिन कर्मयोग का पालन करना विशेष फलदायी माना जाता है। अपने कर्मों के प्रति सच्चाई और समर्पण से भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
- भगवान विश्वकर्मा वास्तुकला के ज्ञाता हैं, इसलिए घर या कार्यस्थल में वास्तु दोष को दूर करें। इससे न केवल सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, बल्कि भगवान की कृपा भी प्राप्त होती है।
- भगवान विश्वकर्मा को प्रसन्न करने के लिए जरूरतमंदों को दान करें और उनकी सहायता करें।
Disclaimer: इस आलेख का मतलब किसी भी तरह का अंधविश्वास पैदा करना नहीं है। यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। ट्रुथ नेशन²⁴ लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है इसलिए किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृपया किसी जानकार ज्योतिष या पंडित की राय जरूर लें।