
नई दिल्ली। इस वर्ष देश के विभिन्न राज्यों में मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई है। पहाड़ी और मैदानी इलाकों में लगातार बारिश से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। इससे पहले उत्तर भारत में भीषण गर्मी ने लोगों को परेशान कर दिया था, जहाँ मई-जून में राजस्थान के कई हिस्सों में तापमान 50 डिग्री से भी ऊपर पहुंच गया था। गुरुवार को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आगामी दिनों में अधिक बारिश की संभावना जताई है। इसके साथ ही, विश्व मौसम संगठन (WMO) ने इस सर्दी के लिए एक पूर्वानुमान जारी किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल की सर्दी कड़ाके की होगी और लोगों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है। डब्ल्यूएमओ का कहना है कि इस सर्दी में तीव्र ठंड का मुख्य कारण ला नीना प्रभाव होगा, जो मौसम में अत्यधिक गिरावट लाने वाला है।
इस साल सामान्य से ज्यादा पड़ेगी ठंड॥
डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के उत्तरी हिस्सों में इस बार कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना जताई गई है। विशेष रूप से ध्यान देने वाली बात यह है कि इस बार न केवल ठंड अधिक तीव्र होगी, बल्कि सर्दियों का मौसम भी लंबे समय तक जारी रह सकता है। डब्ल्यूएमओ के अनुसार, साल के अंत तक 60 प्रतिशत संभावना है कि ला नीना की स्थिति और मजबूत हो जाएगी, जिससे उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में सामान्य से ज्यादा ठंड महसूस की जा सकती है।
कब-कब पड़ेगी ठंड ?
डब्ल्यूएमओ ने बताया कि सितंबर-नवंबर 2024 तक ला नीना की स्थिति बनने की 55% संभावना है और अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 तक इसके 60% तक मजबूत होने की उम्मीद है। ला नीना के प्रभाव से भारत में मॉनसून के दौरान तेज और लंबी बारिश और उत्तरी भारत में सामान्य से अधिक ठंड पड़ती है। साल के अंत तक ला नीना का प्रभाव बढ़ जाएगा, जिससे उत्तर भारत के राज्यों में सामान्य से ज्यादा ठंड पड़ सकती है।
क्या है ला नीना प्रभाव.?
यहां ये जानना भी जरूरी है कि आखिर ये ला नीना क्या होता है, जिसके चलते इस साल ज्यादा ठंड पड़ सकती है। दरअसल ला नीना का मतलब है कि मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान काफी कम हो जाता है। यह बदलाव उष्णकटिबंधीय वायुमंडलीय परिसंचरण, जैसे हवा, दबाव और वर्षा को प्रभावित करता है। आमतौर पर, ला नीना के कारण भारत में मॉनसून के दौरान तेज और लंबी बारिश होती है।
इसके साथ ही, सर्दियों का मौसम भी सामान्य से अधिक ठंडा हो सकता है। ला नीना का प्रभाव अलग-अलग घटनाओं में विभिन्न होता है, जो उसकी तीव्रता, अवधि, और अन्य जलवायु कारकों पर निर्भर करता है। यह अल नीनो के प्रभाव के विपरीत होता है।

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