
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: बांग्लादेशी शरणार्थियों को मिलेगी भारत की नागरिकता, जानें आवेदन की प्रक्रिया!
Citizenship Act S.6A: सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता कानून की धारा 6A पर गुरुवार, 17 अक्टूबर 2024 को अहम सुनवाई हुई। पांच जजों की बेंच ने 1985 में संशोधन के तहत नागरिकता अधिनियम की धारा 6A की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश, और मनोज मिश्रा ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जबकि जस्टिस जेबी पारदीवाला ने इस फैसले से असहमति जताई। इस निर्णय के बाद बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों को अब भारत की नागरिकता प्राप्त होगी। आइए जानते हैं, इन प्रवासियों के लिए आवेदन की प्रक्रिया क्या है और वे कहां आवेदन कर सकते हैं।
सिटिजनशिप के लिए कहां कर सकते हैं आवेदन?
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन http://indiancitizenshiponline.nic.in पर करना होगा। आवेदन के दौरान आवेदकों को यह जानकारी देनी होगी कि वे भारत कब पहुंचे थे। नागरिकता प्राप्त करने के लिए 9 दस्तावेज जमा करने होंगे, जो यह साबित करेंगे कि आवेदक पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान के नागरिक हैं या नहीं। इसके साथ ही 20 अन्य दस्तावेज जमा करने होंगे, जो यह पुष्टि करेंगे कि आवेदक किस तारीख को भारत आए। इसके बाद, सभी दस्तावेजों का सत्यापन ऑनलाइन किया जाएगा और सही आवेदनों को गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा।
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कही ये बात॥
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि ये बहुमत का फैसला है कि नागरिकता कानून की धारा 6A संवैधानिक रूप से सही है। वहीं जस्टिस पारदीवाला ने कानून में संशोधन को गलत ठहराया है। इसका सीधा मतलब है कि 1 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1971 तक बांग्लादेश से असम आए लोगों की नागरिकता को खतरा नहीं होगा।
गौरतलब है कि असम में 40 लाख अवैध आप्रवासी हैं. पश्चिम बंगाल में ऐसे लोगों की संख्या 57 लाख है, इसके बावजूद असम की कम आबादी को देखते हुए, वहां के लिए अलग से कट ऑफ डेट बनाना जरूरी था। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया चंद्रचूड़ ने कहा है कि 25 मार्च 1971 की कट ऑफ डेट सही है।
इसे आसान शब्दों में बताया जाए तो 1985 के असम अकॉर्ड और नागरिकता कानून की धारा 6A को SC ने 4:1 के बहुमत से सही बताया गया है. इसके मुताबिक, 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 तक ईस्ट पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से असम आए लोगों को भारत का नागरिक माना जाएगा। वहीं इस समय के बाद आए लोगों को अवैध करार दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि असम की कम आबादी को देखते हुए कट ऑफ बनाना सही था।

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