उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारि और अधिकारि जल्दी कर लें ये काम, वरना नहीं मिलेगी अगस्त की सैलरी, आदेश जारी।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रही है। ऐसे अधिकारी और कर्मचारी जो 31 अगस्त, 2024 तक चल और अचल संपत्ति का ब्यौरा मानव संपदा पोर्टल पर नहीं जारी करेंगे। उन्हें अगस्त की सैलेरी नहीं मिलेगी। इसमें आईएएस, पीसीएस, अन्य विभागों के अधिकारी और कर्मचारी सभी शामिल हैं। इस संबंध में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष और कार्यालयाध्यक्ष को शासनादेश जारी कर दिया है। संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को पहले से ही प्रमोशन न देने की व्यवस्था है।

गौरतलब है कि 2024 के लिए राज्य सरकार के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा 31 जुलाई तक देना था। मगर बड़ी संख्या में चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने के कारण इसी तारीख 31 अगस्त, 2024 तक बढ़ा दी गई है।

सिर्फ 26 प्रतिशत ने ही दिया है ब्यौरा॥

कार्मिक विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, मानव संपदा पोर्टल पर पंजीकृत कुल अधिकारियों और कर्मचारियों में से सिर्फ 26 प्रतिशत ने ही चल और अचल संपत्ति का ब्यौरा दिया है। सूत्रों के मुताबिक, कई कर्मचारियों द्वारा चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा न देने के कारण उनके प्रमोशन को भी रोक दिया गया है। ऐसे कर्मचारियों ने कार्मिक विभाग को प्रत्यावेदन दिया है।

2023 में संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वालों को भी देना होगा ब्यौरा॥

कार्मिक विभाग ने कर्मिकों के चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा दिए जाने की समीक्षा की, तो पाया कि बड़ी संख्या में ऐसे कर्मिक हैं, जिन्होंने 2024 का ब्यौरा तो दिया है। मगर 2023 का ब्यौरा नहीं दिया है। ऐसे सभी कार्मिकों को 2023 की संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए कहा गया है, जिससे कि ये पता लग सके कि एक साल के दौरान उनकी संपत्ति कितनी बढ़ी या घटी। दरअसल, 2023 में संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वाले ज्यादातर कर्मिकों ने 2024 में संपत्ति का ब्यौरा इसलिए दिया, क्योंकि उससे प्रमोशन की प्रक्रिया पर असर पड़ रहा था।

31 दिसंबर 2023 तक देना था विवरण॥

कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव एम. देवराज ने मुख्य सचिव की ओर से जारी आदेश सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव के साथ ही सभी विभागाध्यक्षों और कार्यालयाध्यक्षों को भेजा है। आदेश में कहा गया है कि सभी अधिकारी-कर्मचारी सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 के नियम-24 के अनुसार मानव संपदा पोर्टल पर 31 दिसंबर 2023 तक चल और अचल संपत्ति का विवरण देने का निर्देश दिया गया था। 

यह भी कहा गया था कि ऐसे कर्मचारियों द्वारा जब तक अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण नहीं दिया जाता, तब तक एक जनवरी 2024 के बाद होने वाली विभागीय चयन समिति की बैठकों में उनके प्रमोशन पर भी विचार नहीं किया जाएगा। 

बढ़ाई गई थी तारीख॥

छह जून 2024 को जारी शासनादेश में पोर्टल पर जानकारी देने के लिए 30 जून 2024 की तारीख निर्धारित की गई थी। बाद में इसका समय बढ़ाकर 31 जुलाई कर दिया गया था। 

मुख्य सचिव ने कहा कि मानव संपदा पोर्टल की समीक्षा में पता चला है कि स्पष्ट निर्देशों के बावजूद पोर्टल पर कुल पंजीकृत कर्मचारियों के मुकाबले अपनी संपत्ति का विवरण देने वाले कर्मचारियों की संख्या बहुत कम है। 

चूंकि, पोर्टल पर संपत्ति का विवरण देने की व्यवस्था पहली बार की जा रही है, इसलिए शुरुआती कठिनाइयों और सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों को पोर्टल पर विवरण देने का एक और मौका देते हुए इसकी अंतिम तारीख 31 अगस्त तय की गई है। 

पत्र में लिखा है कि सभी कर्मचारी अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण जरूर दर्ज कर दें। साथ ही जिन कर्मचारियों ने वर्ष 2023 के सापेक्ष चल-अचल संपत्ति का विवरण दर्ज न करते हुए वर्ष 2024 के सापेक्ष अपना विवरण दर्ज किया है, उन्हें वर्ष 2023 के सापेक्ष विवरण दर्ज करने के निर्देश दिए जाएं। वर्ष 2024 के सापेक्ष चल-अचल संपत्ति का विवरण 31 दिसंबर 2024 के बाद दर्ज करना होगा।

किसे कहते हैं चल और अचल संपत्ति.?

ऐसी संपत्ति जो एक जगह से दूसरी जगह पर नहीं ले जाई जा सकती उसे अचल संपत्ति कहते हैं, जैसे घर, मकान, दुकान, कारखाना आदि। अब अगर चल संपत्ति की बात करें तो ऐसी संपत्ति जिसे एक जगह से दूसरे जगह पर आसानी से ले जाया जा सके, उसे चल संपत्ति कहते हैं, जैसे गाड़ी, गहनें, लैपटॉप आदि इस तरह की चीजें।

अचल संपत्ति को आमतौर पर रियल एस्टेट – आवासीय घर, गोदाम, मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट या कारखाना माना जाना जाता है। जमीन से जुड़े पौधे या पेड़ भी अचल संपत्ति के अंतर्गत आते हैं। अचल संपत्ति के मामले में, इनपर कानूनी नियम तथा टैक्स भी लगता है।

चल और अचल संपत्ति में अंतर.?

ऐसी संपत्ति जो जमीन से नहीं जुड़ी होती यानी जिसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है उसे चल संपत्ति कहा जाता हैं। इसे चलयमान संपत्ति भी कहते हैं। चल संपत्ति के लिए पंजीकरण की जरूरत नहीं होती है। जबकि अचल संपत्ति का मूल्य 100 रुपये से अधिक है तो पंजीकरण अधिनियम 1908 के तहत इसका पंजीकरण जरूरी है। चल संपत्ति को आसानी से बांटा जा सकता है जबकि अचल संपत्ति का विभाजन आसानी से नहीं किया जा है। अचल संपत्ति को बिना वसीयत किये या बिना गिफ्ट या बिना बंटवारा किये किसी को नहीं दिया जा सकता है। जबकि चल संपत्ति को आसानी से किसी को भी दिया जा सकता है।

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