जम्मू-कश्मीर में मिलकर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस, फारूक अब्दुल्ला ने गठबंधन का किया ऐलान।
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। श्रीनगर में राहुल गांधी से मुलाकात के बाद नेशनल कांफ्रेंस के चीफ फारुक अब्दुल्ला ने इसका ऐलान किया। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और J-K नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रेसीडेंट फारूक अब्दुल्ला ने ऐलान किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। शाम को गठबंधन का आधिकारिक ऐलान किया जाएगा।
फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग उनके साथ हैं। अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य दर्जा बहाल हो। हम इसके लिए काम करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या गठबंधन में पीडीपी के लिए कोई जगह है तो फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि उनका लक्ष्य देश में मौजूद सांप्रदायिक शक्तियों को हराना उद्देश्य है। उन्होंने कहा किसी के लिए दरवाजे बंद नहीं है। खुद के चुनाव लड़ने के सवाल को फारुक अब्दुल्ला हंस कर टाल गए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी दो दिन के दौरे पर बुधवार को जम्मू कश्मीर पहुंचे थे। उनके साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी साथ गए हैं।
जम्मू-कश्मीर में 20 अगस्त से विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई। पहले चरण की वोटिंग के लिए अधिसूचना जारी हो गई है। नामांकन भरने की अंतिम तारीख 27 अगस्त निर्धारित की गई है। 10 साल के लंबे इंतजार के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण के लिए 18 सितंबर को वोटिंग होनी है। जिसमें 24 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा।
एक-दो दिन में हो सकता है उम्मीदवारों का ऐलान॥
18 सितंबर को होने वाले पहले चरण के मतदान में 24 सीटों पर वोटिंग होनी है। इसमें 16 सीटें कश्मीर घाटी की है, जबकि 8 सीटें जम्मू इलाके की हैं. एक या दो दिन में पार्टी अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर सकती हैं। 90 सीटों के लिए तीन चरण के विधानसभा चुनाव का परिणाम 4 अक्टूबर को जारी होगा।
2014 में हुआ था आखिरी विधानसभा चुनाव॥
जम्मू और कश्मीर में 2014 के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव होगा. 2014 में सूबे की 87 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले गए थे. तब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी 28 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। वहीं, बीजेपी को 25 सीटों पर जीत मिली थी। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीटें जीती थीं।
चुनाव नतीजों में कोई भी दल बहुमत के लिए तब जरूरी 44 सीट के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच सका था। चुनाव नतीजों के ऐलान के बाद पहले और दूसरे नंबर पर रही पार्टियों पीडीपी और बीजेपी ने गठबंधन कर सरकार मुफ्ती मोहम्मद सईद की अगुवाई में सरकार बनाई थी।
बीजेपी के सामने क्या चुनौतियां?
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के सामने एक बड़ी चुनौती स्थानीय पार्टियां और कांग्रेस है, जिसका स्थानीय स्तर पर बीजेपी की तुलना में पैठ अच्छी है. कांग्रेस का प्लान है कि वो जम्मू डिवीजन में बीजेपी को 20 सीटों पर समेट दे, ताकि विधानसभा में स्थानीय पार्टियों के साथ सरकार में शामिल हो सके।
बीजेपी को लेकर कई बार स्थानीय स्तर पर विरोध भी देखा गया है। हालांकि, हाल के महीनों में इसमें बदलाव भी हुआ है, जहां कई स्थानीय नेताओं ने पार्टी का झंडा उठाया। अगर कांग्रेस जम्मू डिवीजन में कुछ सीटें जीतने में कामयाब होती है तो बीजेपी का सरकार बनाने का सपना चकनाचूर हो सकता है।
तीन चरण में डाले जाएंगे वोट॥
बता दे कि, जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद चुनाव हो रहे हैं। राज्य की 90 विधानसभा सीटों के लिए तीन चरण में वोट डाले जाएंगे। चुनाव परिणाम 4 अक्तूबर को आएंगे। लोकसभा चुनावों में भी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़े थे। तीन सीटों पर नेशनल कांफ्रेंस ने कैंडिडेट उतारे थे, जबकि दो सीटें कांग्रेस को मिली थी। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।
नेशनल कांफ्रेंस को दो सीटें मिली थी। दो सीटें बीजेपी और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। कांग्रेस ने कश्मीर घाटी में 12 सीटें मांगी हैं। कांग्रेस ने इतनी ही सीट नेशनल कांफ्रेंस को जम्मू डिवीजन में ऑफर की हैं। विधानसभा चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस 36 और कांग्रेस सात विधानसभा सीटें पर आगे रही थी। सीट शेयरिंग में इसे आधार बनाया जा सकता है। जम्मू कश्मीर में पहले चरण की वोटिंग 18 सितंबर को होगी। इसके बाद दूसरे और तीसरे चरण के लिए 25 सितंबर और 1 अक्तूबर को वोट डाले जाएंगे।