वाराणसी : धीरेंद्र महिला पीजी कॉलेज में मना 78वाँ स्वतंत्रता दिवस, छात्रों ने दी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति; दिखा देशभक्ति व एकता का संगम।

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी के धीरेंद्र महिला पीजी कॉलेज में 15 अगस्त को 78वां स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यहां एक भव्य समारोह का आयोजन किया। इस अवसर पर कॉलेज के प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों, शिक्षकों ने मिलकर देश की स्वतंत्रता और स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की।


समारोह की शुरुआत तिरंगे झंडे को फहराने और राष्ट्रीय गान गाने से हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मंत्री रवींद्र जायसवाल के आगमन पर कॉलेज के छात्राओं ने एस्कॉर्ट कर अतिथि सत्कार किया। मुख्य अतिथि ने ध्वजारोहण किया और कॉलेज परिसर जन-गण-मन राष्ट्रगान की ध्वनि से गूंज उठा। इसके बाद कॉलेज के प्राचार्य ने अपने संबोधन में स्वतंत्रता के महत्व पर प्रकाश डाला और सभी को देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया।


स्टूडेंट्स ने दी शानदार प्रस्तुतियां॥

समारोह में विद्यार्थियों ने देशभक्ति से ओत-प्रोत रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिनमें नृत्य, गीत, और भाषण शामिल थे। विशेषकर छात्रों द्वारा प्रस्तुत देश भक्ति के गीतों और कविता ने सभी को भावुक कर दिया।


कॉलेज के अधिकारियों ने इस सफल आयोजन के लिए सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों को धन्यवाद दिया और भविष्य में भी इसी तरह के उत्साह और समर्पण की आशा व्यक्त की। छात्रो और शिक्षको ने एकजुटता का संदेश देते हुए कार्यक्रम को समाप्त किया।


क्यों 15 अगस्त को मनाते हैं स्वतंत्रता दिवस?

भारत की आजादी का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है। दरअसल, ब्रिटिश शासन के मुताबिक भारत को 30 जून 1948 को आजादी दी जाने वाली थी, लेकिन उसी समय नेहरू और जिन्ना के बीच भारत और पाकिस्तान के बंटवारा एक बड़ा मुद्दा बन गया था, जिसे लेकर पैदा हुए तनाव और सांप्रदायिक दंगों के बढ़ते खतरे के कारण भारत को 15 अगस्त 1947 को ही आजादी देने का फैसला लिया गया। इसके लिए लार्ड माउंटबेटन ने 4 जुलाई को 1947 को ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में इंडियन इंडिपेंडेंस बिल प्रस्तुत किया। इसके बाद ब्रिटिश संसद से मंजूरी भी मिल गई और 15 अगस्त का दिन भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।

15 अगस्त का दिन ही क्यों चुना गया? 

भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन के लिए 15 अगस्त का दिन बेहद खास था। दरअसल, 15 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ था और ब्रिटिश आर्मी के सामने जापानी सेना आत्मसमर्पण कर दिया था। उस वक्त ब्रिटेन की सेना में लार्ड माउंटबेटन अलाइड फोर्सेज में कमांडर थे। ऐसे में वह इस दिन को खास मानते थे। जापानी सेना के आत्मसमर्पण का पूरा श्रेय माउण्टबेटन को दिया गया था, ऐसे में माउण्टबेटन 15 अगस्त को अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन मानते थे और इसलिए उन्होंने 15 अगस्त का दिन भारत की आजादी के लिए चुना।

क्यों शामिल नहीं हुए थे महात्मा गांधी?

आजादी के समय जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को पत्र भेजकर स्वाधीनता दिवस पर आशीर्वाद देने के लिए बुलाया था, लेकिन महात्मा गांधी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। उन्होंने पत्र के जवाब में जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल को कहा था कि, "मैं 15 अगस्त पर खुश नहीं हो सकता। मैं आपको धोखा नहीं देना चाहता, मगर इसके साथ ही मैं ये नहीं कहूंगा कि आप भी खुशी ना मनाएं। उन्होंने कहा था कि दुर्भाग्य से आज हमें जिस तरह आजादी मिली है, उसमें भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य के संघर्ष के बीज भी हैं। मेरे लिए आजादी की घोषणा की तुलना में हिंदू-मुस्लिमों के बीच शांति अधिक महत्वपूर्ण है।"

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