उत्तर प्रदेश में 2.45 लाख कर्मचारियों का सैलरी रोका गया, संपत्ति का ब्यौरा न देने पर योगी सरकार बड़ी कार्रवाई।

लखनऊ। शासन के आदेश और रिमाइंडर के बाद भी मानव संपदा पोर्टल पर अपनी संपत्ति का ब्योरा न देना यूपी के 2 लाख 44 हजार 565 लाख कर्मचारियों पर भारी पड़ गया। इनका अगस्त माह का वेतन रोक दिया गया है। राज्यकर्मियों को अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा देने के लिए कहा गया था। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी विभागों को पत्र लिखकर 31 अगस्त तक ब्योरा उपलब्ध करवाने को कहा था। हिदायत दी गई थी कि अगर ब्योरा नहीं दिया, तो वेतन रोक दिया जाएगा। इसके बाद भी 6.02 लाख कर्मचारियों ने ही संपत्ति का खुलासा किया है। सूत्रों का कहना है कि अब भी जानकारी न देने वाले कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

यह कार्रवाई उन कर्मचारियों के खिलाफ की गई है जिन्होंने बार-बार की चेतावनी के बावजूद अपनी संपत्ति का विवरण सरकार के मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड नहीं किया। दो दिन पहले राज्य सरकार ने राजकीय सेवा में तैनात सभी आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, और पीपीएस अधिकारियों का वेतन जारी किया था। इसी के साथ सभी अन्य कर्मचारियों का वेतन भी जारी किया जाना था, लेकिन मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के आदेशानुसार, केवल 6 लाख 2 हजार 75 कर्मचारियों का वेतन जारी किया गया, जबकि बाकी 2 लाख 45 हजार कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया। सरकार ने हाल ही में सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी संपत्ति का विवरण  करने का निर्देश दिया था। 

उत्तर प्रदेश में कुल 8 लाख 46 हजार 640 कर्मचारी राजकीय सेवा में कार्यरत हैं। मुख्‍य सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि 31 अगस्त तक सरकारी कर्मचारियों को आईएएस और पीसीएस की तर्ज पर अपनी संपत्ति का ब्‍योरा मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड करना होगा। इसमें शिक्षकों के साथ निगमों और स्‍वायत्‍तशासी संस्‍थाओं में कार्यरत कर्मचारियों को नहीं शामिल किया गया था। इस संदर्भ में लगातार कर्मचारियों को आगाह किया गया था, फिर भी 2 लाख 45 हजार कर्मचारियों ने यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराई।

17 अगस्त को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने एक शासनादेश जारी किया था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि 31 अगस्त तक संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने वाले कर्मचारियों का वेतन रोका जाएगा। यह शासनादेश एक सख्त चेतावनी थी, लेकिन इसके बावजूद 29 प्रतिशत कर्मचारियों ने अपने संपत्ति का विवरण अपडेट नहीं किया। शिक्षा, टेक्सटाइल, सैनिक कल्याण, ऊर्जा, खेल, कृषि और महिला कल्याण विभाग के कर्मचारियों में इस निर्देश का पालन करने की दर सबसे कम रही। खासतौर पर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों में इस आदेश का अनुपालन कम देखा गया है।

गृह विभाग के अनुसार, पुलिस विभाग के कई जवान भी इस सूची में शामिल हैं जिन्होंने अभी तक अपनी संपत्ति का विवरण नहीं दिया। विभाग ने बताया कि त्योहारों और पुलिस भर्ती परीक्षा के चलते पुलिसकर्मी अधिक व्यस्त थे, जिसके कारण वे संपत्ति का विवरण समय पर अपडेट नहीं कर पाए। विभागीय अधिकारियों ने इस स्थिति से शासन को अवगत कराया है और पुलिसकर्मियों को संपत्ति का विवरण देने के लिए अतिरिक्त समय देने की मांग की है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि संपत्ति का विवरण देने के मामले में कोई रियायत नहीं दी जाएगी। जो कर्मचारी अब भी निर्देशों का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ और भी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। इस कदम का उद्देश्य सरकारी सेवा में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है।

मायावती की सरकार में पहली बार दिया गया था आदेश॥

गौरतला भाई की, यूपी सरकार ने इस तरह का आदेश साल 2010 में भी दिया था जब सूबे में मायावती की सरकार थी। लेकिन कई अधिकारियों और कर्मचारियों ने इसका उल्लंघन किया, इसलिए अब योगी सरकार पोर्टल पर संपत्ति की जानकारी देने को अनिवार्य बना रही है। सरकारी कर्मचारियों को अपने जमीन और जायदाद की जानकारी मानव संपदा पोर्टल पर देनी है। 

यूपी सरकार ने पिछले साल 2023 में 18 अगस्त को सरकारी कर्मचारियों के लिए ये आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली, 1956 के नियम-24 के तहत राज्य के सभी सरकारी कर्मचारी 31 दिसंबर, 2023 तक अनिवार्य रूप से अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण दें। तब आदेश में ये भी था कि ऐसा नहीं करने पर कर्मचारियों का प्रोमोशन नहीं किया जाएगा।

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