वाराणसी में ई-रिक्शा चालकों ने बार कोड प्रणाली के खिलाफ किया प्रदर्शन, पढ़िए किस मांगो को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं चालक?

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में यातायात विभाग द्वारा बनाये गये प्रस्तावित मार्ग के खिलाफ काशी के टोटो चालकों का धरना दूसरे दिन भी ज़ारी रहा। प्रशासन ने ई-रिक्शा चालकों के लिए बार कोड बनाने का ऐलान किया है। जिससे शहर को जाम से मुक्ति मिल सके। ऐसे में धरने पर बैठे टोटो चालकों ने प्रशासन के बार कोड का विरोध किया है। 


टोटो चालकों का कहना है कि वर्तमान बेरोजगारी के समय में, टोटो चलाना उनके परिवार के लिए रोजी-रोटी का एकमात्र साधन है। अधिकांश चालक फाइनेंस पर गाड़ियां लेकर चलाते हैं, जिससे उन्हें कर्ज चुकाने का दबाव भी रहता है। ऐसे में नए प्रतिबंधों के कारण उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है, और वे आत्महत्या करने पर मजबूर हो सकते हैं।


चालकों का आरोप है कि जहां एक ओर शहर में अन्य सभी वाहनों का संचालन जारी है, वहीं उनके लिए दोहरे मापदंड अपनाए जा रहे हैं। उनका मानना है कि यदि प्रशासन उन्हें उचित प्रशिक्षण देकर संचालन की अनुमति दे, तो शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या नहीं होगी। इसके बावजूद, जिला प्रशासन द्वारा उनके साथ मनमानी और भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है, जिससे वे बेहद आहत हैं।

रूट प्रतिबंध के खिलाफ ई-रिक्शा चालकों ने निकाली थी रैली॥


वहीं कुछ दिन पहले, ई-रिक्शा चालकों ने ट्रैफिक रूट प्रतिबंध करने और डायवर्जन के विरोध में सोमवार को फरियादी रैली निकाली थी। शास्त्री घाट से जिला मुख्यालय तक रैली में काफी संख्या में ई-रिक्शा चालक मौजूद रहे। अखिल भारतीय ई-रिक्शा चालक यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण काशी ने इस संबंध में नौ सूत्री मांगपत्र डीएम एस. राजलिंगम को सौंपा।

इसमें रूट को पूर्ववत रखने, ई-बसों को ग्रामीण इलाकों एवं शहर में केवल चौड़ी सड़कों पर चलाने, ई-रिक्शा चालकों के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण, बैटरी पर 50 फीसदी की सब्सिडी, बैटरी को 5 प्रतिशत जीएसटी स्लैब में रखने, मुद्रा लोन को आसान बनाने, बीमा और फिटनेस की दरों में कमी, स्टैंड-पार्किंग और चार्जिंग के प्रबंध के साथ पुलिस और नगर निगम के उत्पीड़न को रोकने की मांग शामिल है।

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