यूपी में बदले गए 8 रेलवे स्टेशनों के नाम, देखें पूरी लिस्ट... और पढ़िए कैसे और कौन बदलता है नाम, क्या है प्रोसेस?
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 8 रेलवे स्टेशनों के नाम बदल दिए गए हैं। जिन्हें जिले के धार्मिक पहचान और महापुरुषों के नाम पर स्टेशनों के नाम दिए गए हैं। इनमें जायस स्टेशन, अकबरगंज स्टेशन, फुरसतगंज रेलवे स्टेशन, वारिसगंज हाल्ट स्टेशन, निहालगढ़ स्टेशन, बनी रेलवे स्टेशन, मिसरौली स्टेशन और कासिमपुर हॉल्ट स्टेशन के नाम शामिल हैं।
यहां देखें पूरी लिस्ट...
- जायस स्टेशन का नाम बदलकर गुरु गोरखनाथ धाम रखा गया है।
- अकबरगंज स्टेशन का नाम नाम बदलकर अब मां अहोरवा भवानी धाम रखा गया है।
- फुरसतगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर तपेश्वर धाम रखा गया है।
- वारिसगंज हाल्ट स्टेशन का नाम नाम बदलकर अमर शहीद भाले सुल्तान रखा गया है।
- निहालगढ़ स्टेशन का नाम बदलकर अब महाराजा बिजली पासी स्टेशन रखा गया है।
- बनी रेलवे स्टेशन का नाम स्वामी परमहंस स्टेशन होगा।
- मिसरौली स्टेशन का नाम नाम बदलकर मां कालिकान धाम किया गया है।
- कासिमपुर हाल्ट स्टेशन का नाम बदलकर जायस सिटी किया गया।
पहले भी बदले गए थे नाम॥
बता दें कि इससे पहले साल 2023 में उत्तर प्रदेश के रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए थे। इसमें उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल का प्रतापगढ़, अंतू और बिशनाथगंज था. प्रतापगढ़ का नाम बदलकर मां बेल्हा देवी धाम प्रतापगढ़ जंक्शन और अंतू का नाम बदलकर मां चंद्रिका देवी धाम अंतू। वहीं, बिशनाथगंज का नाम बदलकर शनिदेव धाम बिशनाथगंज कर दिया गया था।
इसके अलावा झांसी रेलवे स्टेशन का नाम वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन कर दिया गया था और फैजाबाद, इलाहाबाद, मुगलसराय स्टेशन का नाम भी बदला जा चुका है. झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन किया जा चुका है। फैजाबाद रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अयोध्या कैंट कर दिया गया है। इसे लेकर सरकार की ओर से अधिसूचना जारी की गई थी।
2018 में इलाहाबाद का नाम बदलकर हुआ प्रयागराज॥
योगी सरकार ने 2018 में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था। इस शहर का नाम बदलने के साथ ही रेलवे स्टेशनों के नाम भी बदले गए थे। योगी आदित्यनाथ ने सीएम बनने के बाद सूबे में सबसे पहले मुगलसराय स्टेशन का नाम बदला।
अगस्त 2018 में मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन कर दिया गया था। साथ ही मुगलसराय तहसील को पंडित दीन दयाल उपाध्याय तहसील कर दिया था। कानपुर के पनकी स्टेशन का नाम पनकी धाम कर दिया था।
बता दें कि इन स्टेशनों का नाम संतों, स्वतंत्रता सेनानियों और स्थानीय आश्रमों के नाम पर रखा गया है। ऐसा पहली बार नहीं है कि रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए हैं। पहले भी कई रेलवे स्टेशनों के नाम बदले बदले जा चुके हैं। ऐसे में हमारे मन में एक सवाल जरूर उठता है कि आखिर रेलवे स्टेशन के नाम को बदलने का अधिकार किसके पास होता है और इसमें कैसे बदलाव किया जाता है?
क्यों बदले जाते हैं रेलवे स्टेशनों के नाम?
रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने के कई अलग-अलग कारण होते हैं। फिलहाल जिन 8 स्टेशनों के नाम बदले हैं, उनकी सांस्कृतिक पहचान और विरासत को संरक्षित करने की मांग के बाद नाम में बदलाव किया गया है। जैसे प्रमुख गुरु गोरखनाथ धाम आश्रम जायस रेलवे स्टेशन के पास है इसलिए प्रस्ताव रखा गया कि स्टेशन का नाम बदलकर आश्रम के नाम पर रखा जाए, जबकि अकबरगंज और फुरसतगंज रेलवे स्टेशनों के पास भगवान शिव और देवी काली के कई मंदिर हैं, इसलिए उनका नाम बदलकर मां कालीकरण धाम, स्वामी परमहंस, मां अहोरवा भवानी धाम और तपेश्वरनाथ धाम रेलवे स्टेशन रखा गया है। इसी तरह से स्टेशनों के नाम उनकी मांग के अनुसार बदले जाते हैं।
क्या होता है प्रोसेस?
रेलवे स्टेशन के नाम बदलने का आधिकार रेलवे बोर्ड के पास नहीं होता है बल्कि स्टेशनों के नाम बदलने का फैसला राज्य सरकार के पास होता है, वही यह फैसला करती है कि किस स्टेशन का नाम बदला जाना है। नाम तय करने के बाद राज्य सरकार उसे गृहमंत्रालय, नोडल मंत्रालय के पास भेजती है और इस अनुरोध को हरी झंडी मिल जाने के बाद नाम परिवर्तन की मंजूरी मिल जाती है। लेकिन यह भी ध्यान रखा जाता है कि जो नाम बदला जा रहा है उस नाम का पहले से कोई रेलवे स्टेशन न हो।
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