उच्चतम न्यायालय ने यौन अपराधों पर कानूनी प्रावधानों की जागरूकता लाने संबंधी याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब।

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने एक वकील द्वारा दायर उस जनहित याचिका पर केंद्र और अन्य से शुक्रवार को जवाब मांगा, जिसमें देश को लड़कियों और महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और बेहतर स्थान बनाने के लिए बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम के दंडात्मक प्रावधानों के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक वकील द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र और अन्य संबंधित पक्षों से जवाब मांगा। याचिका में मांग की गई है कि देश में लड़कियों और महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और बेहतर माहौल सुनिश्चित करने के लिए बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम के दंडात्मक प्रावधानों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने केंद्र, केंद्रीय शिक्षा और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को नोटिस जारी किये।

पीठ वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद हर्षद पोंडा की दलीलों से प्रभावित हुई। पोंडा ने अपनी याचिका में भारत को लड़कियों और महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और बेहतर स्थान बनाने में योगदान देने का आग्रह किया है।

पीठ ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) मामले में फैसला सुनाने की प्रक्रिया में है और इस संवेदनशील मुद्दे पर दिशा-निर्देश जारी कर सकती है। पोंडा ने कहा कि लोगों को बलात्कार से संबंधित कानूनों और निर्भया मामले के बाद ऐसे कानूनों में हुए बदलाव के बारे में जानकारी देने की जरूरत है।

याचिका में कहा गया है कि लैंगिक समानता, महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों और सम्मान के साथ जीने की उनकी स्वतंत्रता के बारे में जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए नैतिक प्रशिक्षण के विषय को भी शामिल किया जाना चाहिए।

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